Raksha Bandhan Essay In Hindi-रक्षा बंधन पर निबंध हिंदी में
Essay On Raksha Bandhan In Hindi-राखी- भाई और बहन के प्रेम का एक ऐसा पर्व है जो केबल हमारे भारत देश में सनातन धर्म के लोग मानते है। रक्षा बंधन का पर्व हमेसा से भाई बहन के लिए खास रहा है हातो में महेंदी सजा कर मन में दुआए लेकर जब एक बहन अपने भाई के लिए ईश्वर से उसकी सलामती और खुशियों की कामना करती है तब रक्षा बंदन का रह पर्व और भी पावन हो जाता है।
Essay On Raksha Bandhan 200 words-पौराणिक कथाओ से राखी की शुरआत कब और कैसे हुआ पता चलता है जिसमे दो तीन कथाये प्रसिद्ध है। आइये जानते है। रक्षाबंधन का त्यौहार सालो पुराण नहीं बल्कि हजारो साल पुराना है सास्त्रो के मान्यताओ और कई कथाओ के अनुसार Raksha Bandhan से जुड़ी कई कहानिया मिलती है जो रक्षा बंधन की शरुवात की बात कहती है। इतिहास कहता है सिन्दु घाटी की सभ्याता से रक्षाबंधन का इतिहास ज़ुरा है।
पहली कथा-पहली कथा है भगवन कृष्ण और द्रोपती की, जब भगवन कृष्ण और शिशुपाल का युद्ध हो रहा था तब कृष्ण भगवन के बाये हात के उंगली से खून निकलने लगा जिससे द्रोपती बहुत दुखी हुई और अपने साड़ी के पल्लू को चीर कर भगवन के ऊँगली में बांध दी जिससे उनका खून बहना बंद हो गया। कहा जाता है तभी से द्रोपती तो अपना बहन स्वीकार कर लिया था। इस घटना के सालो बाद जब पांडव द्रोपती को जूऐ में हर गए तब भगवन कृष्ण भाई बनकर द्रोपती की लाज की रक्षा की थी।
दूसरी कथा-दूसरी कथा भगवन विष्णुऔर राजा बलि की है। भगवन विष्णु जब राजा बलि की दान से खुश होकर उन्हें वरदान मांगने को कहा तब राजा बलि ने भगवन से अपने साथ चलने को कहा और वरदान माँगा की वो उनके साथ पाताल लोक में ही रहे। तब भगवन विष्णु राजा बलि के साथ पाताल लोक चले गए। लेकिन इससे लक्ष्मी देवी काफी दुखी हो गयी। और रूप बदल कर राजा बलि के पास जाकर रोने लगी तो राजा बलि ने रोने का कारण पूछा तब लक्ष्मी जी ने बताया की उनका कोई भाई नहीं है तो राजा बलि ने उनका भाई बनकर उनका इच्छा पूरी की तब लक्ष्मी माता ने उनको राखी बाँधी उसके बाद राजा बलि ने उपहार मांगने को कहा। माता लक्ष्मी ने उपहार में पति भगवन विष्णु मांग लिया। राजा बलि को अपना वचन निभाना पड़ा। उस समय सावन पर्णिमा का था। तभी से राखी बांध कर रक्षाबंधन मानाने की परम्परा है।
तीसरी कथा- दूसरी कथा रानी कर्णावती और राजा हुमायूँ की है बताया जाता है राखी के शुरुवात रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ ने की थी। मध्यकालीन युग में जब राजपूतो और मुसलिमो के बिच युद्ध चल रहा था उसी समय चित्तोर के राजा का विधवा रानी कर्णावती ने सुल्तान बहादुर साह से खतरा देखते हुए हुमायूँ को राखी भेजी थी तब हुमायु से उनकी रक्षा करके उनको अपने बहन का दर्जा दिया था। माना जाता है तब से राखी का प्रचलन है।
Short Essay On Raksha Bandhan In Hindi-सनातन धर्म के पंचांग के अनुसार हर साल रक्षाबंधन का पर्व गुरु पूर्णिमा के ठीक एक महीना बाद श्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को मानते है यह अंग्रेजी मास के अगस्त में आता है
क्या करे-रक्षा बंधन के दिन सबसे पहले बहन को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए और साफ बस्त्र धारण करना चाहिए।इस दिन भाई और बहन दोनों को ब्रत रखकर माता - पिता व भगवन की पूजा कर कर राहु और भद्रा कल से पहले या बाद में भाई को राखी बांधना चाहिए। राखी के लिए रेशम या रंगीन सुत का ही डोर ले। रक्षा बंधन के दिन रक्षा बंधन के दिन राखी में स्वर्ण,चन्दन,केसर,अक्षत और दूर्वा रखकर पहले राखी की पूजा करनी चाहिए। राखी के पूजा के बाद अपने भाई का तिलक करे, तिलक करने के लिए कुमकुम या रोली का ही प्रयोग करना चाहिए। राखी हमेशा भाई के दाहिने हात पर ही बांधना चाहिए। राखी बांधते समय ध्यान रखना चहिये की भाई का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
क्या न करे-इस दिन बहन अपने भाई को रक्षा शुत्र बांधती है इन दिन बहनो को नाराज नहीं करना चाहिए। रक्षाबंधन के दिन राहु और भद्रा कल में राखी नहीं बंदना चाहिए इसे अशुभ मन गया है। टूटे चावल का तिलक नहीं लगाना चाहिए और काले रंग का बस्त्र पहनना नहीं चाहिए।
भाई या बहन को राखी के उपहार में तौलिया,रुमाल जूता और चपल नहीं देना चाहिए। यह दोनों के लिए अशुभ माना गया है।
भाई या बहन को हमेशा ऐसा उपहार दे जिससे उसका कोई हानि न हो। जैसे कोई रंगीन वस्त्र या चाँदी का सिक्का।